
‘दाल रोटी खाओ प्रभू के गुण गाओ’ एक आम कहावत है। परंतु अब लगता है कि इस कहावत को बदलना पड़ेगा-सूखी रोटी खाओ दालों को भूल जाओ। हमारे आम भारतीय भोजन मे दालों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। ऐसे मे दिन-प्रतिदिन दालों अनाजों की बढती हुई कीमतो से आम साधारण आदमी परेशान हो रहा है। दालों मे कई प्रकार के पौष्टिक तत्व होते है। जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक भी होते है। आज दालों अनाजो की बढती हुई कीमतो के कारण आम आदमी के थाली से दाल गायब होने लगी है। बढती कीमत से एक आम आदमी को दालों को अपने दैनिक भोजन मे शामिल करना मुश्किल हो गया। गेहुं चावल की तरह दालों के मामले मे हमारा देश अभी आत्मनिर्भर नही हुआ है। इसलिए भी दालों की कीमते बढ़ रही है। जिसका सीधा असर आम गरीब मजदूरों पर पड़ रहा है।इस वर्ष खासकर महाराष्ट्र व अन्य जो दाल उत्पादक राज्य है कम वर्षा व पैदावर कम होना भी एक कारण हो सकता है।वर्तमान मे तुअर दाल का भाव दर्जे के हिसाब से खुदरा बाजार मे 160से190 प्रतिकिलो पहुंच गया शुरूआत मे यह 90-110 तक रहा। बढा हुआ भाव सामान्य गरीब आदमी को परेशान कर रहा है। सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। आम आदमी की दैनिक भोजन की वस्तुओं पर मूल्य नियंत्रण भी जरूरी है।